Sannadi chakra(सन्नडि चक्र):-
मित्रों आज सन्नडि चक्र पर चर्चा करते है, ये बहुत ही महत्वपूर्ण tool है गोचर को देखने के लिए…बहुत से एस्ट्रो इसका इस्तेमाल नही करते….पर गोचर के कई महवपूर्ण फल इससे प्राप्त किये जा सकते है…इस बारे थोडा सा जो मुझे ज्ञान है वो मैं आपके सामने रखना चाहूँगा….
इस चक्र में 6 प्रकार की नाड़ी होती है इसलिए इसको सन्नडि या षन्नड़ी बोलते है…
1.जन्म नक्षत्र
2.जन्म नक्षत्र से 10 नक्षत्र ( कर्म नाड़ी)
3.जन्म नक्षत्र से 16वा नक्षत्र( संघटिका नाडी)
4.जन्म नक्षत्र से 18वा नक्षत्र( समुदाय नाड़ी)
5. जन्म नक्षत्र से 23वां नक्षत्र( विनाश नाड़ी)
6. जन्म नक्षत्र से 25वां नक्षत्र( मानस नाड़ी)
जब भी कोई पाप और क्रूर ग्रह शनि ,राहु ,केतु, मंगल ,सूर्य गोचर में इन नक्षत्रों पर भ्रमण करता है तो जातक को उस क्षेत्र से हानि होती है…इसका इस्तेमाल हम दशा में भी लगाकर देख सकते है….
1.जन्म नक्षत्र में पापग्रह गोचर करेगे तो सेहत की हानि होने की सम्भावना…
2.कर्म नाड़ी में पापग्रह गोचर करेगे तो कर्मक्षेत्र में हानि, बाधा आदि का सामना करना पड़ेगा…
3.संघटिक में पापग्रह गोचर करेगे तो जातक को हेल्थ, पैसे और दोस्ती मित्रता का नुक्सान हो सकता है..
4.समुदाय में पापग्रह गोचर करेगे तो दुःख शोक, पैसे ,नौकर चाकर का नुक्सान हो सकता है…
5.विनाश में पापग्रह गोचर करेगे तो हेल्थ और पैसे का भारी नुकसान होता है…
6.मानस में पापग्रह गोचर करेगे तो मानसिक अशांति, तनाव जैसी स्थितया बन सकती है…
उदाहरण:- किसी का जन्म भरणी नक्षत्र में हुआ है तो 10 नक्षत्र पूर्वफल्गुनी, 16 नक्षत्र अनुराधा, 18 नक्षत्र मूल,23 नक्षत्र शतभिषा और 25 नक्षत्र उतरभदपद होंगे….नीचे टेबल से आप समझ लीजिये….